क्या वो
भी
करती
होगी
हमसे
इतना
प्यार
चलते चलते निकल आए किन रास्तों पर, जिनकी नहीं कोई मंजिल
उतर आए ऐसे समंदर मे, जिसके नहीं कोई साहिल
करें अब क्या करें, बता
मेरे आसमाँ
लहरों से समझौता करें, या तुफानों का करें
इंतजार
लबों तक आ न पाया दिल का हाल, अरमाँ जगे
दिल मे कई कई बार
होठों को सी लिए हम यही सोच कर, बस यही सोच कर हर बार
क्या वो भी करती होगी हमसे इतना प्यार, क्या वो भी करती होगी हमसे इतना प्यार
दिल के ज़ख्मों
को खुद ही
सीते रहे, गम
के आँसु यूँही
पीते रहे
हर रोज तेरी याद आई, हर
पल जीते रहे,
हर पल
मरते रहे
दिल मे तस्वीर बनाई , आँखों मे तुमको बसाये
धडकनों मे कैद कर लिया, साँसों मे तुम समाये
रोक ले खुद को कैसे, जरा कोई बताये
जब धडकनों मे तुम हो, कैसे न फिर हर पल याद आए
हर साँस मे हो तुम, तेरी ही जुस्तजू
इस दिल को अब, बस तेरी ही आरजू
रब से क्या माँग ले अब हम, और कोई ख्वाइश बाकी नहीं
जो मिल जाये तेरा, बस एक तेरा प्यार
दिल ने कहना चाहा कई कई बार
होठों को सी लिए हम यही सोच कर, बस यही सोच कर हर बार
क्या वो भी करती होगी हमसे इतना प्यार
क्या वो भी करती होगी हमसे इतना प्यार
जो कुछ भी है दरमियाँ,
अब ना रहे कोई अटकल, अब ना रहे कोई अड़चन
तेरे दिल में धड़के मेरी हर धड़कन
प्यार बढ़ता रहे, इश्क अड़ता रहे
मिट जाये गर दूरियाँ, कम हो जाये गर फासले
जो कुछ भी हैं दरमियाँ, जो कुछ भी हैं दरमियाँ
राहों से राहें, बाहों से बाहें, आहों से आहें
कुछ इस तरह मिल जाये.गर
.............
दिल से दिल, जिस्म से जिस्म, जाँ से जाँ
साँसों में साँसे घुल जाये गर...............
मिट जाये गर दूरियाँ, कम हो जाये गर फासले
जो कुछ भी हैं दरमियाँ, जो कुछ भी हैं दरमियाँ
मौला मेरे
मौला मेरे मौला मेरे मौला मेरे,कर दे मुझपे कुछ तो रहम
मेरी आँख का आँसू कर दे जरा सा तो कम...................
तड़पते हैं अक्सर मुहब्बत में तेरी कभी ज्यादा कभी कम
कितने अदा हुए, कितने बाकि इश्क में अब और सितम........
आँखें मेरी चाहत में तेरी कितनी ये नम.....................
मौला मेरे मौला मेरे मौला मेरे,कर दे मुझपे कुछ तो रहम
मेरी आँख का आँसू कर दे जरा सा तो कम...................
माँगी थी हमने मुहब्बत में मंज़िल
चाहा था हमने कर लेंगे एक दिन तुझे हासिल
तू मगर हमको मिल ना पायी, दिल से दिल की कैसी ये बेवफाई
घुमतें है अक्सर तेरी यादों में तनहा-तनहा, महफ़िल-महफ़िल
तू है नहीं कहीं अब आस पास मेरे, फिर भी क्यूँ है मुझको तेरे होने का वहम
मौला मेरे मौला मेरे मौला मेरे,कर दे मुझपे कुछ तो रहम
मेरी आँख का आँसू कर दे जरा सा तो कम...................
सोचा था हमने घुल जायेगी एक दिन साँसों में मेरी साँसे ये तेरी
चाहा था हमने होगी एक दिन बाँहों में मेरी, बाँहें ये तेरी.........
मिल जायेगी निगाहों से मेरी, निगाहें ये तेरी, आहों में मेरी, आहें ये तेरी
फिर क्या सितम वक्त ने ढाया इश्क में हमपे
..................................
फिर कैसे जुदा हो गयी राहों से मेरी, राहें ये तेरी..................................
कब तक इन राहों पर अब अकेले यूँही चलना है
पलकों के ख्वाबों को आँसुओं में गलना है.......
यूँही उगना है अब सूरज को, शामों को अब यूँही ढलना है
तेरे आने की चाहत में, तेरे होने की आहट में
अकेली रातों में अब यूँही करवट बदलना है...........
तड़पना है फिर भी जीना है, इश्क करने की शायद यही सजा है
मुस्कुरातें है अक्सर महफ़िल में अकेले ही हम
पीकर के इश्क में सारे गम............
जीते हैं अब साँसों को समेट समेट कर ( थाम कर )
कैसे है इश्क के ये सारे करम..............................
मौला मेरे मौला मेरे मौला मेरे,कर दे मुझपे कुछ तो रहम
मेरी आँख का आँसू कर दे जरा सा तो कम...................
तड़पते हैं अक्सर मुहब्बत में तेरी कभी ज्यादा कभी कम
कितने अदा हुए, कितने बाकि इश्क में और सितम........
आँखें मेरी चाहत में तेरी कितनी ये नम.....................
मौला मेरे मौला मेरे मौला मेरे,कर दे मुझपे कुछ तो रहम
मेरी आँख का आँसू कर दे जरा सा तो कम..........
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